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राष्ट्रपति जी द्वारा विमोचन

राष्ट्रपति को आचार्य विद्यासागर की पुस्तक .. द साईलेंट अर्थ (The Silent Earth)..भेंट

राष्ट्रीय. राष्ट्रपति.पुस्तक (NATIONAL)

नयी दिल्ली .15 जून. वार्ता. राष्ट्र्रपति भवन में आयोजित गरिमापूर्ण तथा सादगी भरे एक समारोह मे ंकल राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को तपस्वी दार्शनिक संत आचार्य विद्यासागर द्वारा लिखित कालजयी हिन्दी महाकाव्य .. मूकमाटी..के अंग्रेजी रपातंरण ..द साइलेंट अर्थ (The Silent Earth) ..की प्रथम प्रति भेंट की गयी |
राष्ट्रपति भवन उस समय तालियों की गडगडाहट से गूंज उठा जबकि राष्ट्रपति ने वहां एकत्रित श्रद्धालुओं का जैन अभिवादन परपंरा ..जय जितेन्द्र .. से अभिवादन किया1 इस अवसर पर बडी तादाद में श्रद्धालु तथा साधु साध्वीगण उपस्थित थे1 पुस्तक की प्रथम प्रति सर्वश्री अशोक पाटनी . अभिनंदन जैन तथा श्री एन.के. जैन ने भेंट की |

इस अवसर पर राष्ट्रपति का स्वागत करते हुये फिल्म कार अनुपमा जैन ने कहा कि आचार्य श्री के प्रत्यक्ष आभामंडल राष्ट्रपति भवन में साक्षात अवतरित हुआ है और इस आलोक में देश की प्रथम नागरिक को आचार्य श्री की पुस्तक भेंट की जा रही है |

उन्होंने कहा कि आचार्य श्री का जीवन सत्य. कल्याण से जन कल्याण की यात्रा है 1 घोर तपस्या. चिन्तन मनन के साथ साथ वह एक प्रबुद्ध तथा संवेदनशील दार्शनिक लेखक हैं1 यह आचार्य श्री की संवेदनशीलता है कि उन्होंने माटी जैसी पद दलित एवं व्यथित वस्तु को महाकाव्य का विषय बना कर उसकी मूक वेदना और मुक्ति की आंकक्षा को वाणी दी |

उन्होंने कहा कि दरअसल यह महाकाव्य स्वयं को और अपने भविष्य को समझने की नयी दृष्टि देता है और दलितों और शोषितों को उत्थान की आस देता है कि कुम्भकार किस तरह मिट्टी को शुद्ध बना कर उसे मंदिर का पवित्र कलश बनाने की क्षमता रखता है |….. सुश्री जैन ने कहा कि यह महाकाव्य कर्म के बंधनों से आत्मा की भक्ति यात्रा तमाम विकृतियां मिटाकर प्रभु से एकाकार होने की यात्रा पर्व है | पुस्तक अंग्रेजी. बंगला. मराठी. कन्नड में अनुदित हो चुकी है तथा लगभग 40 शोधकर्ता इस पर पी एच डी कर रहे हैं1 उन्होंने कहा कि आचार्य श्री का जीवन स्वयं ही दर्शन है | उनका कहना है ..अहिंसा कायर नहीं कर्तव्य निष्ठा बनाती है |

राजनीति जब धर्म से जुड जाती है तो साधना हो जाती है. जीवन एक केन्वास है यह हम पर है हम उसमें कैसा रंग भरे1.. उन्होंने कहा कि गुरूवर आज के दौर के विल्क्षण संत है1 उनका तप अप्रतिम है . कठोर दिगंबर जैन चर्या का पालन करते हुए बीसियों सालों से एकासा किया .न. न. नमक खाया. न चीनी1 हजारों कि.मी की नंगे पांव यात्रा करते हुए जंगल जंगल भटके. कठोर तपस्या. जन कल्याण. स्वास्थ्य मनन.चिंतन के साथ सतत लेखन अदभुत है | उनके संघ में अधिकतर उच्च शिक्षा प्राप्त एम.ए. बी. एम टेक. मेडिकोज एम बी ए तथा उच्चाधिकारी शामिल हैं जो संसारिक सुख. त्याग. कठिन तप साधना में रत हैं | आचार्य लगभग एक दर्जन से अधिक आध्यात्मिक. साहित्यक ग्रंथ लिख चुके हैं जिनका संस्कृत. अंग्रेजी. हिंदी में अनुवाद हो चुका है |
सुश्री जैन ने बताया कि आचार्य श्री न.न केवल तपस्वी हैं बल्कि दार्शनिक एवं समाज सुधारक भी हैं. शिक्षा.स्त्री शिक्षा. पशु कल्याण तथा पर्यावरण के क्षेत्र में उनकी प्रेरणा से कितनी परियोजनायें चल रही हैं1. जबलपुर मध्य प्रदेश स्थित प्रतिभा स्थली स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा ही एक आंदोलन है |

इस अवसर पर जैन समाज के प्रमुख चक्रेश जैन.स्थानीय विधायक राजेश जैन. उद्योगपति ओम प्रकाश. उद्यमी सुनील कुमार जैन. सुनील पहाडे. तेरापंथ महिला मंडल की प्रमुख सुशीला पटोवटी सहित समाज कीअनेक विशिष्ट हस्तियां मौजूद थी |

शोभना.अजय.राणा 1724 जारी.वार्ता

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