डोंगरगढ़ (चंद्रगिरि तीर्थक्षेत्र)
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acharyashri ke charno me sat sat naman…
acharya shree ap is yug ke mahavir hai jo sabhi sacchi rah dikhate hai
hum ashta distt. Sehore m.p. Jain samaj apke charno me namostu kar yeh vinay karte hai ki he guruvar ek bar ashta padharo.
“guruvar humko taro|
ashta padharo||”
विश्ववन्दनीय परमपूज्य संतशिरोमणी आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी गुरुवर ससंघ के मंगल आशीर्वाद से जंगल में भी साक्षात मंगल का वातावरण व्याप्त हो जाता है। मध्यप्रदेश के जिला अनूपपुर के अकृत्रिम उपवन में अमरकंटक को विश्वव्यापी पहचान प्रदान करने के लिये जैन संस्कृति का भव्य तथा परिपूर्ण हजार वर्ष से अधिक आयु वाला पाषाण का जिनालय तेजी से आकार ग्रहण कर रहा है जो की अब लगभग पूरा हो चूका है। स्व. श्री धर्मवीर बाबूलाल जी तथा परिवार (दुर्ग) के सहयोग से निर्मित प्रथम तीर्थंकर परम आराध्य 1008 भगवान श्री आदिनाथ की अद्भुत, मनोज्ञ, विशाल, विश्व में सर्वाधिक वजनी 24 टन अष्टधातु की प्रतिमा जो 28 टन अष्टधातु के कमल पर विराजित (कुल वजन 52 टन) के कारण राष्ट्र और विश्व में स्वर्ण मंडित है। प्रतिमा ज्ञानवारिधि आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महामुनिराज तथा ससंघ 44 निर्ग्रंथ शिष्य मुनिगणों के सानिध्य में गुरुवार 6 नवम्वर 2006 को शुभमुहूर्त में विराजित की गयी थी। गुड, चूना और राजस्थान के पाषाण के उपयोग से इसे भव्य कलात्मक, अद्वितीय निर्माणाधीन जिनालय को देख कर जैन-अजैन सभी श्रद्धालु दाँतों तले उँगली चबाने को बाध्य हैं। इस मन्दिर के निर्माण में लोहा, सीमेंट का उपयोग बिल्कुल भी नहीं किया जा रहा है। इस साधना स्थल के संस्थापक अध्यक्ष श्री उदयचन्द्र जी जैन आदि के अथक प्रयास अभिनन्दनीय है।
gurudev k charno mai sat-sat naman
Please send e-mail addresses in your state for Information temple digamber jain Mandhir Tadasar
Dist ;-sangli ,Maharashtra