जैन धर्म (Jain Religion)
‘जैन’ कहते हैं उन्हें, जो ‘जिन’ के अनुयायी हों। ‘जिन’ शब्द बना है ‘जि’ धातु से। ‘जि’ माने-जीतना। ‘जिन’ माने जीतने वाला। जिन्होंने अपने मन को जीत लिया, अपनी वाणी को जीत लिया और अपनी काया को जीत लिया, वे हैं ‘जिन’। जैन धर्म अर्थात ‘जिन’ भगवान् का धर्म।
जैन धर्म का परम पवित्र और अनादि मूलमंत्र है-
णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं।
णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्वसाहूणं॥
अर्थात अरिहंतों को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार, सर्व साधुओं को नमस्कार। ये पाँच परमेष्ठी हैं।
धन दे के तन राखिए, तन दे रखिए लाज
धन दे, तन दे, लाज दे, एक धर्म के काज।
धर्म करत संसार सुख, धर्म करत निर्वाण
धर्म ग्रंथ साधे बिना, नर तिर्यंच समान।
जिन शासन में कहा है कि वस्त्रधारी पुरुष सिद्धि को प्राप्त नहीं होता। भले ही वह तीर्थंकर ही क्यों न हो, नग्नवेश ही मोक्ष मार्ग है, शेष सब उन्मार्ग है- मिथ्या मार्ग है।
– आचार्य कुंदकुंद
जैन कौन?
जो स्वयं को अनर्थ हिंसा से बचाता है। |
जो सदा सत्य का समर्थन करता है। |
जो न्याय के मूल्य को समझता है। |
जो संस्कृति और संस्कारों को जीता है। |
जो भाग्य को पुरुषार्थ में बदल देता है। |
जो अनाग्रही और अल्प परिग्रही होता है। |
जो पर्यावरण सुरक्षा में जागरुक रहता है। |
जो त्याग-प्रत्याख्यान में विश्वास रखता है। |
जो खुद को ही सुख-दःख का कर्ता मानता है। |
संक्षिप्त सूत्र- व्यक्ति जाति या धर्म से नहीं अपितु, आचरण एवं व्यवहार से जैन कहलाता है।
Acharya Shree ko shat shat pranam
Shakahar is the best ahar
Regards
Kishor Vitalar Jain
aahesha he jain ka mulay mantra he par esa mantra ko kayro ke upama de jane lage par ese logo ko hum batan chahete ke na to kayara he na he henshak hum to mahaveer ke banasaj he
शाकाहार गाय का अहार,माशाहार शेर का अहार,शाकाहार माशाहार ये कुत्तो का अहार है।सोचो आप कौन है… नोट:-गाय व शेर दोनो पूज्यमान है लेकिन कुत्ता नही।
aachrya shree ke charno me barambar kotish namostu kahiyega
me jain dhram sikhna chata hu
PL.SEND MEANING OF SHANTIDHARA EACH WORD & DEV SHASHTRA GURU SAMMUCHAY POOJA MEANING WITH EACH WORD.