महावीराष्टक-स्तोत्रम
(कविवर भागचन्द्र)
शिखरिणी छन्द
यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचितः,
समंभांतिध्रौव्य-व्यय-जनि-लसंतोंत-रहिताः।
जगत-साक्षी-मार्ग-प्राकटन-परो भानुरिव यो,
महावीरस्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।।
अताम्रं यच्चक्षुः कमल-युगलं-स्पन्द-रहितम,
जनान कोपापायं प्रकटयति वाभ्यंतरमपि।
स्फुटं मूर्ति-र्यस्य प्रशमितमयी वातिविमला,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
नमन नाकेन्द्राली-मुकुट-मनि-भा-जाल-जटि-लम
लसत पादाम्भोज-द्वयमिह यदीयं तनुभृताम्।
भवज्जवाला-शांत्यैप्रभवति जलम वा स्मृतमपि,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
यदर्चा-भावेन प्रमुदित-मना दर्दुर इह,
क्षणादासीत स्वर्गी गुण-गणसमृद्धः सुखनिधिः।
लभंते सद्भक्ताः शिव-सुख-समाजं किमु तदा,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
कनत स्वर्णाभासोप्यपगत-तनु-ज्ञान-निवहो,
विचित्रात्माप्येकोनृपति-वर-सिद्धार्थ-तनयः।
अजन्मापि श्रीमान विगत-भव-रागोद्भुत-गतिः,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
यदीया वाग्गंगा विविध-नय-कल्लोल-विमला,
बृहज्ज्ञानाम्भोभि-र्ज्गति जनतां या स्नपयति।
इदानी-मप्येषा बुध-जन-मरालैः परिचिता,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
अनिर्वारोद्रेक-स्त्रिभुवन-जयी काम-सुभटः
कुमारावस्थायामपि निज-बलाद्येन विजितः।
स्फुरन नित्यानन्द-प्रशम-पद-राज्याय स जिनः,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
महा-मोहांतक-प्रशमन-पराकस्मिक-भिषग,
निरापेक्षो बन्धु-विर्दित-महिमा मंगल-करः।
शरण्यः साधूनां भव-भय-भूआ-मुत्तम-गुणो,
महावीर स्वामी नयनपथ-गामी भवतु मे।
महावीराष्टकं स्त्रोत्रं भक्त या ‘भागेन्दु’ ना कृतम्।
यः पठेच्छूणुयाच्चापि, स याति परमां गतिम्।।
जिनवाणी माता की आरती
जय अम्बे वाणी,माता जय अम्बे वाणी।
तुमको निश दिन ध्यावत सुर नर मुनि ज्ञानी।।
श्री जिन गिरते निकसी, गुर गौतम वाणी।
जीवन भ्रम तुम नाशन्दीपक दरशाणी।। जय….
कुमत कुलाचल चूरण, वज्रसु सरधानी।
नय नियोग निक्षेपण देखन, दरशाणी।। जय….
पातक पंक पखालन, पुण्य पाणी।
मोह महार्णव डूबत, तारण नौकाणी।। जय….
लोकालोक निहारण, दिव्य नेत्र स्थानी।
निज पर भेद दिखावन, सूरज किरणानी।। जय….
श्रावक मुनिगण जननी, तुमही गुणखानी।
सेवक लख दुखदायक, पावन परमाणी।। जय….
श्री महावीर स्वामी की आरती
जय महावीर प्रभो, स्वामी जय महावीर प्रभो।
कुण्डलपुर अवतारी, त्रिशलानन्द विभो।। ऊँ जय महावीर….
सिद्धार्थ घर जन्मे, वैभवथा भारी।
बाल ब्रह्मचारी व्रत पाल्यौ, तपधारी।। ऊँ जय महावीर….
आतम ज्ञान विरागी, सम दृष्टिधारी।
माया मोह विनाशक, ज्ञान ज्योतिजारी।। ऊँ जय महावीर….
जग में पाठ अहिंसा, आपहि विस्तार्यौ।
हिंसा पाप मिटा कर, सुधर्म परचारयौ।। ऊँ जय महावीर….
यहि विधि चाँदनपुर में,अतिशय दर्शायौ।
ग्वाल मनोरथ पूर्यो, दूध गाय पायौ।। ऊँ जय महावीर….
प्राणदान मंत्री को, तुमने प्रभु दीना।
मन्दिर तीन शिखर का निर्मित है कीना।। ऊँ जय महावीर….
जयपुर नृप भी तेरे, अतिशय के सेवी।
एक ग्राम तिन दीनों, सेवा हित यह भी।। ऊँ जय महावीर….
जो कोइ तेरे दर पर इच्छा कर आवे।
धन, सुत सब कुछ पावे संकट मिट जावे।। ऊँ जय महावीर….
निश दिन प्रभु मन्दिर में जगमग ज्योति करै।
हरिप्रसाद चरणों में, आनन्द मोद भरैं।। ऊँ जय महावीर….
The navigation provided in diwali pujan is not working correctly. Please correct it
Thank you