बताया जाता है कि ब्यावरा के दिगम्बर जैन मंदिर पर भगवान पार्श्वनाथ की 400 वर्ष पुरानी प्रतिमा 23 दिन पूर्व खंडित हो गई थी। वही प्रतिमा रविवार को अचानक सेवकों के सामने अपने पूर्व स्वरूप में दिखाई दी। इस चमत्कार से जैन धर्मावलंबियों की आस्था का ठिकाना नहीं रहा।
कैसे हुआ चमत्कार :
स्थानीय जैन मंदिर में रखी भगवान पार्श्वनाथ की 400 वर्ष पुरानी प्रतिमा 23 दिन पूर्व अचानक अपने स्वरूप को खोते हुए खंडित हो गई जिसमें मूर्ति का सिर अलग व धड़ अलग होकर पांच हिस्सों में बिखर गई थी। भगवान की खंडित प्रतिमा से आहत समाज बंधुओं ने क्षमा-याचना की। इन्हीं क्षणों में दो दिन पश्चात समाज की ही एक महिला श्वेता जैन को एक स्वप्न आया जिसमें भगवान ने स्वयं कहा कि मेरी प्रतिमा को किसी बंद अंधेरे कमरे में 21 दिनों तक रख दें।
महिला के इस स्वप्न पर जैन समाज के बंधुओं ने प्रतिमा को समीप के कक्ष में अंधेरा कर रख दिया। 21 दिन तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम व प्रार्थना चलती रही। एक दिन पूर्व ही निर्वाण लाडू अनुष्ठान भी किया गया। तभी मूर्ति खंडित होने के 23 दिन बाद सुबह पांच बजे समाज के कुछ सदस्यों ने खंडित मूर्ती वाले अंधेरे कक्ष को खोला तो सबकी आंखें चौंधिया गई। खंडित मूर्ती पूरी तरह अपने पूर्व स्वरूप में दिखाई दी।
वहां उपस्थित सभी लोगों ने भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ती को हिलाकर देखा जो पूरी तरह से जुड़ी हुई दिखाई दी। इस चमत्कार के बाद जैन समाज बंधुओं के आनंद और उत्साह बढ़ गया। इस घटना को समाज बंधु अतिशय होना बता रहे हैं। पार्श्वनाथ की मूर्ति के दर्शन के भक्तों का तांता लगा हुआ है।
is kshetra ko atishaykari kshetron me shamil kar lena chahiye
vyabra lalitpur ke pas hai na/