Youtube - आचार्यश्री विद्यासागरजी के प्रवचन देखिए Youtube पर आचार्यश्री के वॉलपेपर Android पर दिगंबर जैन टेम्पल/धर्मशाला Android पर Apple Store - शाकाहारी रेस्टोरेंट आईफोन/आईपैड पर Apple Store - जैन टेम्पल आईफोन/आईपैड पर Apple Store - आचार्यश्री विद्यासागरजी के वॉलपेपर फ्री डाउनलोड करें देश और विदेश के शाकाहारी जैन रेस्तराँ एवं होटल की जानकारी के लिए www.bevegetarian.in विजिट करें

श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बीनाजी-बारहा : सागर

श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बीनाजी-बारहा


बीनाजी-बारहा की फोटो गैलेरी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

क्षेत्र परिचय

परम पावन अतिशय क्षेत्र बीनाजी-बारहा बुंदेलखण्ड में जैन संस्कृति की गौरवपूर्ण धरोहर है। यह एक प्राचीन अतिशय क्षेत्र है, जो सुख-चैन नदी के समीप अपनी अलौकिक छटा बिखेरता हुआ प्रकृति के सुरम्य वातावरण में स्थित है। प्राचीनता, भव्यता, अतिशय एवं आकर्षण में यह पावन क्षेत्र अपना अद्वितीय स्थान रखता है।

स्थिति

श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बीनाजी-बारहा मध्यप्रदेश के सागर जिले के तहसील मुख्यालय देवरी (राष्ट्रीय राजमार्ग २६) से पूर्व की ओर ८ कि.मी. पर स्थित है। पश्चिम मध्य रेलवे की बीना-कटनी रेल लाइन पर निकटवर्ती रेलवे स्टेशन सागर से देवरी ६५ कि.मी. एवं जबलपुर-इटारसी रेल लाइन पर निकटवर्ती रेलवे स्टेशन करेली से देवरी ५० कि.मी. दूरी पर अवस्थित है।

क्षेत्र दर्शन

क्षेत्र पर विशाल गगनचुम्बी शिखरों से युक्त ३ जिनालय हैं। शांतिनाथ जिनालय में कार्योत्सर्ग मुद्रा में १००८ शांतिनाथ भगवान की अतिशय युक्त, आकर्षक १६ फुट उत्तुंग प्रतिमा के दर्शन करने से श्रद्धालुजन भक्ति में भाव-विभोर हो जाते हैं। इस मंदिर के बाह्य भाग की तीन दिशाओं में देशी पाषाणयुक्त, कलाकृति से परिपूरित अनेक प्रतिमाएँ ६ वेदियों पर विराजमान हैं, जिनका कलात्मक सौंदर्य अति मनोज्ञ है। मामा-भानेज के नाम से प्रसिद्ध, वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से जीर्णोद्धार किए जा रहे जिनालय में महावीर भगवान की १३ फुट ऊँची, १२ फुट-४ इंच चौड़ी, पद्मासनस्थ, चूने और गारे से निर्मित प्रतिमा दर्शनीय है। इस मंदिर के गर्भगृह में दक्षिण की ओर देशी पाषाण से निर्मित चंद्रप्रभु भगवान की ६ फुट-९ इंच ऊंची प्रतिमा तथा उत्तर की ओर बाहुबली भगवान की २ प्रतिमाएँ विराजमान हैं। इसी जिनालय के नीचे तलघर में वेदिका पर अजितनाथ भगवान की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है एवं मंदिर के सामने नगाड़खाने में ऊपर वेदिका पर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है। क्षेत्र के मंदिरों का जीर्णोद्धार सेठ बंशीधरजी सरावगी, कलकत्ता वालों ने पूर्व में करवाया था। क्षेत्र परिसर में एक और छोटा-सा जिनालय है। इसके सामने एक मानस्तंभ बना हुआ है, जो अति ही आकर्षक है। क्षेत्र पर कलाकृति की दृष्टि से बेजोड़ उदाहरण स्वरूप विश्व का एकमात्र गंधकुटी जिनालय है। वह ६१ फुट उत्तुंग, लाल पत्थर से जीर्णोद्धारित होकर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जो दर्शनार्थियों के मन को मोह लेता है। इस प्रकार क्षेत्र पर आकर दर्शनार्थी शांति एवं आनंद का अनुभव करते हैं।

क्षेत्र का अतिशय

इस संबंध में यह अनुश्रुति है कि एक धर्मात्मा जैन गाँव-गाँव जाकर बंजी (व्यापार) करते हुए अपनी आजीविका चलाता था। इस हेतु ही वह बीनाग्राम में भी आता था। रास्ते में एक स्थान पर उसे प्रायः ठोकर लगती थी। एक रात उसे स्वप्न आया कि जहाँ तुम्हें ठोकर लगती है, वहाँ खोदने से श्री शांतिनाथ भगवान की मूर्ति के दर्शन होंगे। अतः उसने २ दिन खुदाई की। तीसरे दिन पुनः स्वप्न आया कि तुम जहाँ मूर्ति स्थापित करना चाहते हो, वहीं ले जाकर रुकना और इस बीच पीछे मुड़कर नहीं देखना, अन्यथा भगवान वहीं रुक जाएँगे। वह श्रावक तीसरे तीन गया और खोदने पर उसे शांतिनाथ भगवान की मूर्ति के दर्शन हुए। दर्शन पा वह भक्ति में ओतप्रोत हो गया। प्रभु चरणों में लीन हो गया। भगवान को छोटी, ठठेरे (हल्की लकड़ी) की गाड़ी में बैठाकर आगे बढ़ा तो उसे जय-जयकार व संगीत का नाद सुनाई दे रहा था। फलतः उससे न रहा गया और कौतूहलवश उसने पीछे मुड़कर देख ही लिया तो गाड़ी वहीं रुक गई। यह वही स्थान है, जहाँ शांतिनाथ भगवान विराजमान हैं। बीना बारहा अतिशय क्षेत्र है और भी एक ऐसा अतिशय शांतिनाथ भगवान का है कि एक चम्मच घी से पूरी तरह दीपक जलना- जैसे अनेक अतिशय हैं, जो क्षेत्र की चमत्कारिता की यशोगाथा गाते हैं। अतः क्षेत्र प्राचीन, अतिशयकारी, मनोज्ञ व दर्शनीय है। क्षेत्र पर दयोदय गौशाला भी स्थापित है।

इस युग के महान तपस्वी, प्रातःस्मरणीय, विश्ववंदनीय आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज का पदार्पण अनेक बार इस क्षेत्र पर हुआ है। यह क्षेत्र का महान सौभाग्य है। सन्‌ १९७८ में आचार्य श्री जी के ससंघ मंगलमय सान्निध्य में ऐतिहासिक पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव हुआ था। आचार्यश्री जी इस क्षेत्र पर अनेक बार शीतयोग,
ग्रीष्म योग में भी विराजित हुए हैं। हम सभी के परम सौभाग्य से वर्ष २००५ में आचार्य श्री एवं संघस्थ ५० मुनिराजों के वर्षायोग का सौभाग्य भी इस क्षेत्र को प्राप्त हुआ है। आचार्य गुरुदेव का क्षेत्र के विकास हेतु मंगलमय आशीर्वाद प्राप्त है और इससे क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रगति की है। क्षेत्र ने अत्यधिक भव्य एवं आकर्षक स्वरूप प्राप्त कर भारत वर्ष के तीर्थक्षेत्रों में विशिष्ट जगह बनाई है। यह सब आचार्य गुरुवर के मंगल आशीर्वाद की ही कृपा है। आचार्यश्री विद्यासागरजी द्वारा ‘स्तुति-शतक’ की रचना यहाँ पूर्ण कर इस क्षेत्र के विषय में लिखा हैः

बीना बारा क्षेत्र पै सुनो! नदी सुख-चैन।

बहती-बहती कह रही, इत आ सुख दिन-रैन॥

पत्र व्यवहार पता

तहसील- देवरीकलाँ, पिन – ४७० २२६,

जिला- सागर, मध्यप्रदेश

संपर्कः- +९१ – ७५८६ – २८०००७

महेन्द्र जैन – ९४२५४५११५३

प्रकाश जैन – ९४२५८३८१७८

संजय जैन – ९४२५०५३५२१

प्रवचन वीडियो

कैलेंडर

february, 2025

No Events

X