सूर्य की भांति हमारे जीवन से मोहरूपी अंधकार को हटाना ही जीवन की सार्थकता है : आचार्यश्री विद्यासागरजी
दिन में आप सूर्य को ही मात्र देख सकते हैं। ज्योतिष मंडल में बहुत प्रकार के तारामंडल विद्यमान रहते हैं। सूर्य के प्रकाश से हम सभी वस्तुओं को तो देख सकते हैं, परंतु ज्योतिष में विद्यमान तारामंडल को नहीं देख सकते। तारामंडल बहुत चमकदार होते हैं लेकिन प्रभाकर का प्रकाशपुंज इतना तेज होता है कि उस प्रकाश के कारण संपूर्ण तारामंडल लुप्त रहता है।
चन्द्रमा ज्योतिष मंडल में गायब तो नहीं होता लेकिन वह अपना प्रकाश भी नहीं फैला पाता है। चन्द्रमा अपना प्रकाश सूर्य के सामने नहीं फेंक सकता। ऐसा क्यों होता है कि संपूर्ण तारामंडल और चन्द्रमा सूर्य के आलोक के कारण अपना प्रकाश दिखाने में फीके पड़ जाते हैं। सूर्य का तेज इतना अधिक है कि उसके आलोक के आगे तारामंडल दिखता ही नहीं है और चन्द्रमा का दिखना औपचारिकता मात्र रहता है लेकिन दिन में उससे प्रकाश प्राप्त नहीं होता। हां, एक दिन ऐसा भी आता है, जब ग्रहण के समय सूर्य का तेज राहु के कारण छिप जाता है, लेकिन सूर्य का प्रकाश धरती पर रहता है और हम सभी राहु के बीच में आ जाने के कारण भी एक-दूसरे को देख सकते हैं।
यही हाल हमारे जीवन का है। मोहरूपी अंधकार हमारे जीवन से प्रकाश खत्म कर देता है। हमारी आत्मा का तेज सूर्य के समान है, परंतु अभी हमारा जीवन अंधकारमय है और हम मात्र चन्द्रमा और तारे के प्रकाश से प्रकाशित हो रहे हैं। सूर्य का प्रकाश अभी हमारी आत्मा से नहीं निकला है। हमें अपनी आत्मा में सूर्यरूपी प्रकाश का आलोक प्रकाशित करना है और मोहरूपी चांद और तारों का प्रकाश सूर्यरूपी प्रकाश के आगे हमारे जीवन में अंधकार बनाए हुए है।
ये उद्गार खजुराहो में विराजमान परमपूज्य आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से हजारों की तादाद में उपस्थित जैन समुदाय के बीच व्यक्त किए, तो प्रवचन में आचार्यश्री की वैज्ञानिक शैली को सुनकर सभी हतप्रभ रह गए।
7 दिन में 76 सैलानियों ने मांसाहार त्याग की दिशा में बढ़ाया कदम
आचार्यश्री के संघस्थ ब्रह्मचारी सुनील भैया ने बताया कि खजुराहो में आचार्यश्री के चरण पड़ने के पश्चात से ही प्रतिदिन विदेशी सैलानी आचार्यश्री के दर्शनों का लाभ ले रहे हैं। आज शनिवार को स्पेन और इटली से आए सैलानियों ने आचार्यश्री से आशीर्वाद ग्रहण किया और सप्ताह में 1 दिन मांसाहार न खाने का संकल्प लिया। आचार्यश्री ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। साथ ही नॉर्वे से आए सैलानी ने 5 साल तक शाकाहारी रहने का आचार्यश्री के समक्ष संकल्प लिया। इसके अलावा चाइना, कोरिया, अर्जेंटीना, स्पेन, इटली व मैक्सिको से आए 75 सैलानी सप्ताह में 1 दिन मांस न खाने का संकल्प ले चुके हैं।
खजुराहो अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल है। प्रतिदिन विदेशी लोग आचार्यश्री की चर्या के बारे में सुनकर हतप्रभ रह जाते हैं। दिन में एक बार आहार और पानी लेना, नंगे पैर पदविहार करना, शकर, नमक, हरी सब्जियां आदि आहार में नहीं लेना आदि चर्या को सुनकर विदेशी सैलानी दांतों तले उंगली दबा लेते हैं और वे भारतीय संस्कृति में धर्म के इतिहास के प्रति जागरूक हो रहे हैं।
kripya acharyashri ki photos videshi sailanio ke sath prakashit karvayen.