अग्नि जलती नहीं जलाती है- आचार्यश्री
चंद्रगिरि डोंगरगढ़ में विराजमान संत शिरोमणि 108 आचार्यश्री विद्यासागर महाराज जी ने कहा की आप लोग कहते हैं की अग्नि जल रही है जबकि अग्नि जलती नहीं जलाती है, जलता तो ईंधन है। इसी प्रकार गाड़ी अपने आप चलती नहीं है उसे ड्राईवर चलाता है। वैसे ही हमारी आत्मा हमारे शरीर को चलाती है और हमारा शरीर उसी के अनुसार कार्य करता है। इसे ही भेद विज्ञान कहा जाता है जो इसे समझ लिया उसे फिर कुछ और समझने की आवश्यकता नहीं होती है।
यह शरीर उस आत्म तत्व के लिए एक जेल के सामान है वह इसके अन्दर कैदी की भांति कैद है। हम जो भी कार्य करते हैं उठते, बैठते, चलते – फिरते एवं आदि जो भी शरीर के द्वारा दैनिक क्रियाएँ करते हैं वह सब आत्म तत्व के द्वारा ही निर्देशित होता है शरीर तो केवल उसके अनुरूप कार्य करता है। हमें केवल अपने आत्म तत्व की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
यह जानकारी चंद्रगिरि डोंगरगढ़ से निशांत जैन (निशु) ने दी है।