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आचार्य श्री : इंदौर दैनिक खबरें

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के लिए प्रमुख पात्रों का चयन

धरती के चलते फिरते भगवन संत शिरोमणि आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ के पावन सानिध्य में 26 जनवरी से 1 फरवरी तक श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के लिये आज महोत्सव के प्रमुख पात्रों का चयन हुआ

महामहोत्सव के पुण्यशाली पात्र

  • भगवान के माता पिता:- श्री संजय जी जैन मैक्स
  • सौधर्म इंद्र:- श्री सचिन जी जैन युवा उद्योग रत्न
  • धनपति कुबेर:- श्री आलोक जी जैन कोयले वाले
  • महायज्ञ नायक:- स्वर्गीय श्री सुशील जी डबडेरा परिवार
  • राजा श्रेयांस:-श्री प्रकाश जी सन्दीप जी मनीष जी जैन जैन स्टील परिवार
  • ईशान इंद्र:- श्री विमल चन्द जी मनोज जी मुकेश जी बाकलीवाल परिवार
  • बाहुबली:- श्री सुधीर जी डिस्कवर परिवार
  • भरत चक्रवर्ती:- श्री सुरेश जी दिवाकर गौरझामर वाले परिवार
  • सानत इंद्र:– श्री जितेंद्र जी नीरज जी जैन
  • माहेन्द्र इंद्र:– श्री देवेंद्र कुमार जी मनोज कुमार जी जैन आरोन वाले इंदौर
  • राजा सोम परिवार:- श्री विमल चन्द जी मुकेश जी मनोज जी बाकलीवाल
  • एवम अन्य सभी पुण्यार्जक परिवार
  • पूज्य आचार्य श्री के आशीर्वाद से 13 मन्दिरो के 13 श्रावक श्रेस्ठियो को महायज्ञनायक इंद्र बनने का सौभाग्य मिलेगा

सभी पुण्यार्जक परिवारों को बहुत बहुत बधाई एवम साधुवाद

आप सभी के पुण्य की अनुमोदना एवम नमन

आप लोग अभिमान न करो, स्वाभिमान रखो : विद्यासागर  (18/01/2020)

आप किसी भी संस्था का आरंभ करते हैं सामाजिक, धार्मिक, त्याग, तपस्या आदि की अपेक्षा से, दूसरों के साथ हमारा व्यवहार सुधारने की अपेक्षा से आदि। अंग्रेजी शब्द है ट्रस्ट। इस शब्द का क्या अर्थ है, पता नहीं, लेकिन आप लोगों को क्या मालूम है, वो भी नहीं पता है। हो सकता है आप लोगों को मालूम हो, लेकिन अगर गलती हो तो सुधार लें। ये बहुत आवश्यक है।

ट्रस्ट का अर्थ होता है विश्वास। अब ये विश्वास क्या होता है, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र यानी मोक्ष मार्ग विश्वास होता है। यानी ट्रस्ट तो जो है नाबालिग वस्तु है, उसे छोटा माना गया है और उसका संरक्षण एवं पालन अनिवार्य होता है, इसलिए उस ट्रस्ट से आप स्वीकार्य करते हैं तो उसके संरक्षण का भार आपके कंधों पर आ जाता है। आप संरक्षक हैं, अनुपालक हैं। यह बात शुक्रवार को आचार्य विद्यासागर महाराज ने तिलक नगर में धर्मसभा में कही।


इंदौर बना रहा इतिहास, 10 मंदिरों का एक साथ होगा पंच कल्याणक : आचार्य विद्यासागर (17/01/2020)

इतिहास बनता नहीं है, बनाना पड़ता है। पिछले साल सागर जिले में सात मंदिरों का पंच कल्याणक हुआ था। अब देखो इंदौर इतिहास बनाने जा रहा है, यहां दस मंदिरों का पंचकल्याणक होने वाला है। जिस तरह पारा किसी के हाथ नहीं आता है, लेकिन जब सुनार पारे को तपाता है तो वो भस्म बन जाता है। अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ होते हैं। जब उनका रसायन होता है तो उसमें अनेक परिवर्तन होते हैं। फिर उसमें कितने ही प्रयास किए जाएं वो अपने मूल रूप में नहीं आ पाता है। इस पारे को आप कैसे पहचान सकते हैं। उसकी मूल पहचान यही है वह आपकी पकड़ में नहीं आएगा। आप दुनिया को पकड़ना चाहते हो, थोड़े से पारे को पकड़ नहीं पाते हो। कोई बात नहीं, उसका एक स्वभाव है। यह बात आचार्य विद्यासागर महाराज ने गुरुवार को तिलक नगर में अपने प्रवचन में कही।

आचार्यश्री ने कहा कि अनंतकाल से आपका स्वभाव शरीर के बंधन से बना हुआ है। आत्मा को कोई पकड़ नहीं सकता, किंतु आत्मा इस शरीर की पकड़ में आ गई है। पारे को जैसे भस्म बनाने की प्रक्रिया है, वैसे ही प्रक्रिया आपके यहां होने जा रही है। दो-तीन दिन के बाद पात्रों का चयन होगा। यहां पर पंच कल्याणक होगा। भारत वर्ष में हमने आज तक नहीं सुना कि एक साथ दस मंदिर के पंच कल्याणक हों। आप सिर्फ पारे के उदाहरण को ध्यान में रखो, आप सिर्फ अपने आपको को पकड़ो, दूसरों को पकड़ना छोड़ दो।

धर्मसभा में विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे सहित अन्य लोगों ने आचार्य को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। आचार्य का पूजन सुखलिया और सुदामा नगर दिगंबर जैन समाज द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्मचारी सुनील भैया ने किया व आभार कमल अग्रवाल ने माना।

10 मंदिरों की सूची इस प्रकार है :

  • वैभव नगर
  • छावनी
  • खातीवाला टैंक
  • शिखर जी ड्रीम
  • 78 सलैया वाला
  • पंचबालयति
  • तपोवन
  • जायसवाल
  • सुखलिया
  • निर्वाणा

Source : bhaskar


व्यक्ति से व्यक्ति को, समाज से समाज को अलग करने का प्रयास पागलपन है – विद्यासागरजी (15/01/2020)

इंदौर (अनुराग शर्मा)। त्याग, तप और ज्ञान के सागर आचार्य विद्यासागरजी से करोड़ों लोगों ने जीवन प्रबंधन सीखा है। अलग-अलग क्षेत्रों के शीर्ष लोगों ने नेतृत्व के गुर सीखे हैं। खुद विद्यासागरजी का जीवन तो प्रतिकूलताओं में आत्मानुशासन का अनूठा उदाहरण है ही। दैनिक भास्कर के अनुरोध पर भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय ने विद्यासागरजी से जीवन प्रबंधन और समाज-देश में अनुशासित नागरिक के रूप में हमारे कर्त्तव्य पर बात की। इसके लिए उन्होंने तिलक नगर स्थित महाराज के प्रवास स्थल पर आचार्यश्री और संघस्थ मुनियों के साथ दिन बिताया।

प्रोफेसर राय : शिक्षा को लेकर हमारी प्रणाली और सोच क्या सही दिशा में है? आज समाज के ताने-बाने को बुनने में शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है?
विद्यासागरजी : शिक्षा बौद्धिक नहीं होती। उसका उद्देश्य समझना होगा। यदि उसके उद्देश्य को समझ लिया तो शिक्षा के बगैर भी सीख सकते हैं। बच्चे यदि माता-पिता की बात सुनते हैं तो शिक्षा का उद्देश्य पूरा हुआ। आज नकारात्मकता और क्रोध सिर्फ इसलिए है कि मन में संतुष्टि नहीं है। इसके लिए शिक्षा में परिवर्तन करना होगा। कुछ लोग व्यक्ति को व्यक्ति से या समाज को समाज से अलग करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके प्रयासों से कुछ भी सिद्ध नहीं हो पा रहा तो उनका प्रयास पागलपन है, इसे रोकने के लिए भी शिक्षा जरूरी है।

प्रोफेसर राय: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आज बड़ी बहस छिड़ी हुई है।
विद्यासागरजी : स्वतंत्रता हासिल करने का उद्देश्य देश का बौद्धिक, सामाजिक और धार्मिक विकास करना था। सभी का हित, सुख, शांति, सहयोग और कर्त्तव्य भी। इसके बाद यदि समय बचता है तो उसका उपयोग जीवन के रहस्यों को समझने के लिए किया जाना चाहिए। स्वतंत्रता और स्वच्छंदता में अंतर है। संघर्षों के बाद मिली स्वतंत्रता को स्वच्छंदता नहीं समझा जाना चाहिए।

प्रोफेसर राय : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ दूसरा विषय अभिव्यक्ति का माध्यम यानी भाषा भी है।
विद्यासागरजी : एक बार ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में इंडियन की परिभाषा देखिए। पुरानी सोच वाले, आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति को इंडियन कहा गया है। भारत का इतिहास है, इंडिया का नहीं है। हमें देश का नाम बदलकर भारत करना चाहिए। हम उन्नत थे, दूसरों को भी उन्नत बना सकते हैं, वह भारत के माध्यम से ही संभव है, इंडिया से नहीं। चीन, जापान, जर्मनी, रूस और इजराइल ने अपनी भाषा में विज्ञान, प्रबंधन विकसित किए, अंग्रेजी में नहीं। इजराइल की हिब्रू भाषा के शब्दकोश में बहुत कम शब्द हैं, भारत के पास अनेक भाषाएं और शब्दकोश हैं, फिर भी हमें अंग्रेजी चाहिए। जो अभिव्यक्ति हिंदी में हो सकती है, वह अंग्रेजी में संभव नहीं। फिर भी माता-पिता का इस भाषा के प्रति बहुत आग्रह है। इस आग्रह ने बच्चों की सहजता छीन ली है।

प्रोफेसर राय: युवाओं को आपकी सलाह…
विद्यासागरजी : आज का युवा विचार ज्यादा करता है, जिसका कोई प्रयोजन नहीं, उस बारे में बिलकुल न सोचें। अन्यथा भी न सोचें, सिर्फ उपयोगी बातें सोचें। अन्यथा सोचने से शक्ति की भी हानि होती है। समय पर सोचना बेहतर है, बजाय इसके कि समय निकल जाने के बाद सोचें। संयुक्त परिवार में हर किसी का दायित्व होता था। आज वह लाभ तो नहीं मिल रहा, बल्कि हानि हो रही है।

प्रोफेसर राय : एक व्यक्ति परिस्थितियों को बदलने के लिए कहां से पहल करे?
विद्यासागरजी : एक बिंदु को केंद्र मानकर यदि हम एक के बाद एक रेखाएं खींचें तो वे रेखाएं स्वत : एक वलय का रूप ले लेंगी। रेखाएं मिलकर वृत्त बना देती हैं, लेकिन वे स्वयं तो वृत्त नहीं हैं। ऐसे ही पूरा विश्व एक वृत्त है, जिसके केंद्र में स्व है। खुद के और दुनिया के बीच संबंध बनाने के लिए सरल रेखाएं आवश्यक हैं। यदि संबंध बने रहेंगे तो वलय बना रहेगा। कहने का तात्पर्य यह है कि हम अपने आप को देखेंगे तभी विश्व को देख पाएंगे।

Source : Bhaskar.com


वैज्ञानिक ध्यान लगाकर आविष्कार करते हैं, आप भी ध्यान कर सबकुछ पा सकते हैं (15/01/2020)

इंदौर। कभी कोई ऐसा प्रसंग मिल जाता है कि दिमाग पूरा खाली हो जाता है। जैसे दिमाग में कुछ था ही नहीं। यह भारत भूमि है, इसके लिए हमें कोई साक्ष्य देने की आवश्यकता नहीं है। हम हर बात में सोचते हैं कि किसी भी प्रकार से साक्ष्य दें। आप न्यायालय में जाएं, सर्वप्रथम आपको साक्ष्य और साक्षी चाहिए। इस आधार पर ही निर्णय होगा। जिसे आप जमानत भी बोलते हो। असली साक्षी कौन है, यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।

यह बात आचार्य विद्यासागर महाराज ने तिलक नगर में मंगलवार को प्रवचन में कही। उन्होंने कहा- विज्ञान भी ध्यान को महत्व देता है, क्योंकि ध्यान लगाकर ही वैज्ञानिक आविष्कार करते हैं। विज्ञान को भी चाहिए कुछ आधार, वह साक्ष्य नहीं चाहता, वह अपना ध्यान चाहता है। आप लोगों के पास ध्यान की सामग्री है, लेकिन आप विज्ञान के युग में बहे जा रहे हैं। आपको सब कुछ उपलब्ध हो सकता है, आपके पास इतनी क्षमता विद्यमान है।

जो व्यक्ति इतिहास को भूल जाता है, वह भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता
आप अपना ध्यान और दिमाग मेरी ओर कर लो, सब कुछ मिल जाएगा, मैं किस-किस को देखूं, लेकिन आप सब मेरी ओर देख सकते हैं। मेरा हाथ आप सबके लिए उठा हुआ है, जब चाहे बस ध्यान लगा लीजिए। भले रात को भी। बस आपको ध्यान लगाने की आवश्यकता है और उसके साथ आस्था भी जुड़ जाती है, फिर रास्ता भी साफ हो जाता है। हमको 8-10 दिन तो हो गए हैं इंदौर में, आगे की योजना आप जानें, हम भविष्य की चिंता नहीं करते, लेकिन जो इतिहास को भूलता है, वह भविष्य का निर्माण नहीं कर सकता है। मंगलवार को आचार्य का उपवास था।

Source : Bhaskar.com


पंचकल्याणक का भव्य ऐतिहासिक आयोजन (14/01/2020)

इंदौर में प्रथम बार संत शिरोमणि परम पूज्य १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज ससंघ ३० शिष्यों के सुसान्निध्य में सात जिनालयों के लिए सामुहिक जिनबिम्ब पंचकल्याणक का भव्य ऐतिहासिक आयोजन होगा।

वाणी भूषण बाल ब्रह्मचारी, प्रतिस्थारत्न ‘विनय भैया जी सम्राट‘

आयोजन : वीर निर्वाण संवत् २५४६ माघ शुक्ल २ से माघ शुक्ल ७ तक रविवार २६ जनवरी से शनिवार १ फ़रवरी तक।

आयोजन स्थल : चमेली देवी पार्क, गोयल नगर, इंदौर (म.प्र)

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