501 – कच्चे घर का, ग़रीब चिरकाल, अमीर रहे।
502 – नरतन है, कड़ाव देवकाया, मिठाई की डिब्बा।
503 – गुरु रवि के, शरण में वैराग्य, कमल खिले।
504 – कर्म निर्जरा, जिनके स्मरण से, उन्हें नमन।
505 – व्यवस्थित जो, भोजन करें वही, सही परोसे।
506 – पपीते से भी, आम छोटा फिर भी, फलों का राजा।
507 – माटी घड़े में, जल ठण्डा ना चीनी, मिट्टी घड़ में।
508 – जंगली फूल, बगिया में खिले वो, ना सुरभि है।
509 – कामना लिए, प्रार्थना अविनय, भगवान का।
510 – आशीष दिया, गुरु ने जीवन में, दीप जलाया।
511 – उपयोग की, निर्मलता है जहाँ, वहाँ अहिंसा।
512 – कहना नहीं, सहना ज्ञाता-दृष्टा, बने रहना।
513 – तुझको जपूँ, तुझसा बन जाऊँ, भक्त की भक्ति।
514 – कर्म निर्जरा, जिनके स्मरण से, उन्हें नमन।
515 – इतिहास को, पढ़िए अपना ही, धर्म-ध्यान है।
516 – विद्या ग्रहण, विनय से देने में, प्रेम चाहिए।
517 – जलतरंग, क्या कभी हस्तगत, हो सकते हैं ?
518 – डूबनेवाला, तरंग पकड़ क्या, बच सकता है ?
519 – देह से दही, विदेह बने जब, जागे समता।
520 – शाब्दिक ज्ञान, म्यान है तलवार, शब्दातीत है।
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521 – योद्धा नहीं है, लोहार हथियार, भले बनाए।
522 – नीचे उतारो, उबलते दुध को, तभी पी सको।
523 – ज्ञात होता है, विगत के विचार, कर्मोदय में।
524 – भक्ति की वीणा, सम्पूर्ण जीवन में, बजती रहे।
525 – कामना करें, काम ना करें मुझे, स्वर्ग मोक्ष हो।
526 – दूषित मन, दुशमन सुमन, खिला सुमन।
527 – उस सत्ता से, ना मिली बाहर ही, नदी कब से।
528 – सम देव का, स्वागत जो करें ओ, अमर बने।
jai jinendra,
muni shri yogsagar ji maharaj ji ki jay ho ,muni shri ka chintan aur manan kitna gambhir hai yah unke dwara likhi gayi kawita se jalakta hai …….aur ho bhi kyu na akhir we hai bhi to acharya shri vidhyasagar ji ke suyogya shishya
18-18 combination-
Nauka jaise jo paaye guru
bhav paar karaate khud tirkar
har pal ja gyan ki chalti ghadi
Kuch soojh padi kuch samajh padi