कुंडलपुर। यहां हम करीब 4 हजार भाई-बहन बैठे हैं। गुरु महाराज का सान्निध्य है। ऐसे पवित्र अवसर पर क्या हम 1 मिनट भी मौन नहीं बैठ सकते? मैं मौन रहने की कला सिखाता हूं। मौन संगीत कितना अच्छा है। मित्रो, इस पवित्र अवसर पर जो भी यहां आए हैं या आई हैं, वे यहां से बदले हुए व्यक्ति बनकर जाएं। मैं यहां आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज के चरणों में बैठा था। मन कर रहा था कि ऐसी पवित्र आत्मा के पास बैठा रहूं।
उक्त विचार सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारक, समाज सुधारक डॉ. एसएन सुब्बाराव ने बड़े बाबा महामस्तकाभिषेक महोत्सव में विशाल धर्मसभा में व्यक्त करते हुए आगे कहा कि हम सब सोचते हैं कि अहिंसा के माध्यम से दुनिया की रचना हुई। महात्मा गांधी जब अफ्रीका से आए तो चंपारण में खादी का कार्य शुरू किया। यहां भी कुंडलपुर में हाथकरघा का काम शुरू हुआ है। आचार्यश्री से सुना कि बुरे से बुरा आदमी भी संत बन सकता है।
उन्होंने कहा कि चंबल से दस्यु (डाकू) समस्या का निराकरण कराया। आज डाकू मोहरसिंह गांव का सरपंच है। मैं चाहता हूं कि मेरा भारत इन 4 चीजों से मुक्त बने- हिंसा, भूख, नशा, भ्रष्टाचार से मुक्त भारत हम देखना चाहते हैं। हम सबको इस कार्य में लगना चाहिए। आज आचार्यश्री के दर्शन कर संकल्प लेकर जा रहे हैं। हमारा भारत इन 4 से मुक्त भारत हो। आप न ही आत्महत्या करें न ही दूसरों की हत्या करें। कम से कम 1 घंटा देश के लिए निकालें। सभी सुखी-स्वस्थ रहें।