सौधर्म इन्द्र को मुक्ति मिलती है (17-1-2012)
पद्मनाभपुर दुर्ग में आयोजित पंचकल्याणक के द्वितीय पात्र चयन समारोह में पात्रों को संबोधित करते हुए आचार्य विद्यासागर जी ने कहा की यह पात्र तो बोली से बने है,लेकिन यहाँ बैठे प्रत्येक व्यक्ति को हम पात्र बना सकते हैं.आचार्य श्री ने कहा की योग पहले होना चाहिए तब तो संयोग होता है,अर्थ सहित हम अपने जीवन को रखते हैं,तो वह अर्थ परमार्थ का कारण बने,अतः निकट वाले को ही निकट का आश्रय मिलता है,भावों का आरोहन अवरोहन होता रहता है,मनुष्य अवस्था में ही हम कल्याण कर सकते हैं. पंचकल्याणक समिति ने कहा की, आचार्य श्री की पूजन दुर्ग,भिलाई आदि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक कालोनी के लोगों को अवसर मिलेगा और जो सबसे अच्छा द्रव्य सजाएगा उसे पुरुस्कार प्रदान किया जाएगा.
ज्ञात हो की पद्मनाभपुर में २४/१/२०१२ से २९/१/२०१२ तक गर्भ,जन्म,ताप,ज्ञान,निर्वाण कल्याणक के कार्यक्रम होंगे एवं १९/१/२०१२ को ध्वजारोहण का कार्यक्रम होगा.
उपरोक्त उत्सव हेतु पात्रों का चयन निम्नलिखित है –
माता-पिता- अनिल-सुनीता जैन (आनंद dairy)
सौधर्म इन्द्र- शची इन्द्राणी : राकेश-संगीता जैन (बोरवेल वाले पद्मनाभपुर)
राजा श्रेयांस- राजेंद्र-शोभा पाटनी (दुर्ग)
बाहुबली- नेमीचंद-सुशीला देवी बाकलीवाल,दुर्ग
भरत चक्रवर्ती- अजय-ज्योत्स्ना जैन,दुर्ग
विधिनायक- अजय,विजय,राजेश बोहरा,दुर्ग
यज्ञनायक-विनोद जैन,दुर्ग और पी.सी. जैन,राजनंदगांव
सनचालन- प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. प्रदीप भैया सुयश एवं पवन जैन
पंचकल्याणक एवं गजरथ महोत्सव १९ से,दिन-रात चल रही तैयारी (16-1-2012)
१००८ श्री मज्जिनेंद्र पञ्च कल्याणक एवं सहस्रकूट जिन्बिम्ब प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव जैसे जैसे करीब आ रहा है,तैयारियों में तेज़ी आ गयी है.
सकल दिगंबर जैन समाज तैयारियों में जुटा हुआ है.यह महोत्सव १९ से २९ जनवरी तक आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में मनाया जायेगा.आचार्य श्री ससंघ श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर पद्मनाभपुर में विराजमान हैं.महोत्सव स्थल मिनी स्टेडियम,पद्मनाभपुर में भव्य पांडाल का निर्माण किया जा रहा है.इस महोत्सव में देश भर से श्रद्धालु आएंगे,विदेशों से भी श्रद्धालुओं के आने की संभावना है.बाहर से आने वालों के लिए आवास एवं भोजन की पूरी व्यवस्था है.कार्यक्रम स्थल पर पार्किंग,पेय जल आदि की उत्तम व्यवस्था है.अंतिम दिन तक़रीबन एक लाख श्रद्धालुओं के आने की सम्भावना है. तैयारी बा.ब्र. प्रदीप भैया अशोकनगर के मार्गदर्शन में हो रही है.
पंचकल्याणक महोत्सव पाषाण से परमात्मा बनाने की अनुष्ठानिक क्रिया है. इस भव्य महोत्सव के साक्षी बनने के लिए समाज के लोगों में भारी उत्साह है.महोत्सव की धार्मिक क्रियाओं को संपन्न करने के लिए पात्रों का चयन हो चुका है. पद्मनाभपुर में नवनिर्मित जिनालय में १००८ धातु की प्रतिमाएं एवं २१ इंच की श्री सम्भवनाथ भगवान के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव के आयोजन के लिए आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की अनुमति मिलने के बाद पूरे छत्तीसगढ़ के सकल जैन समाज में हर्ष का वातावरण है.इस महोत्सव की शुरुआत १९ जनवरी को ध्वजारोहण एवं घटयात्रा से होगी.
वासना शांत हो जाती है (2-1-2012)
पद्मनाभपुर/दुर्ग में आयोजित धर्म सभा को मुख्य पात्र चयन के अवसर पर संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा की आज आपके पात्रों का चयन हुआ लेकिन बहुत समय लगा,हमारे पात्रों के चयन में कुछ भी समय नहीं लगता. आज सौधर्म इन्द्र का चयन हुआ मगर सौधर्म इन्द्र,भगवान के माता पिता ऐसे नहीं बन सकते,यह कार्य यहाँ ही हो सकता है.तीर्थंकर के जन्म लेते ही माता-पिता की वासना शांत हो जाती है.वह अकेले ही जन्म लेते हैं.यहाँ प्रभु बनने की प्रक्रिया संपन्न होगी,भगवत रूप धारण करने वाले का जन्म होगा . वीतरागता अमूल्य वस्तु है उसको प्राप्त करने के लिए इस तरफ से मुंह मोड़ना होगा,बस उस तरफ मुंह करना होगा,जब तक एक तरफ से मुंह नहीं मोडेंगे तब तक दुसरे को प्राप्त नहीं कर पाएंगे.
आचार्य श्री ने कहा की जिस तरफ हवा चलती है हम वहां जाते हैं. उन्होंने जबलपुर,सागर,इंदौर,ललितपुर,अशोकनगर में जैन समाज ज्यादा है ऐसा कहा एवं मुंगावली,गुना ,राजिम,धमतरी,बिलासपुर,रायपुर,तिल्दा नेवरा,राजिम,जगदलपुर,डोंगरगांव,डोंगरगढ़,आदि का नाम लेकर कहा हम राजस्थान भी ७ साल रहे हैं और वहीँ से आये हैं. राजस्थान की तरफ भी हवा बहेगी तो वहां भी चले जायेंगे.