शांति अभियान का नाम रखना था ‘अरिहंत’
नागपुर। क्रांतिकारी संत जैन मुनि तरुणसागर जी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने राष्ट्र के किसी तकनीकी या शांति अभियान का नाम ‘अरिहंत’ रखा होता तो बेहतर होता, लेकिन उसने एक पनडुब्बी का नाम ‘अरिहंत’ रख कर निन्दनीय कार्य किया है। यह शब्दों के साथ अत्याचार करने का नमूना है। ‘भास्कर’ से बातचीत में मुनि जी ने कहा कि वे प्रधानमंत्री व तीनों सेनाध्यक्षों को इस नामकरण के खिलाफ विरोध पत्र भेजेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस अर्थ में ‘अरिहंत’ शब्द का इस्तेमाल किया है, वह धर्म में वर्णित तात्पर्य से मेल नहीं खाता है। ‘अरिहंत’ पारिभाषिक शब्द है जिसका मतलब काम, क्रोध, लोभ, मद जैसे आंतरिक शत्रुओं को जीतना। पनडुब्बी का यह नाम रखना बाहरी शत्रुओं को जीतने का मतलब देता है। इस विपरीत अर्थ की वजह से हम इसका विरोध कर रहे हैं। |
साभार: दैनिक भास्कर इंदौर ३० जुलाई २००९ |